3.जय जय आरति आदि जिणंदा, नाभिराया

जय जय आरति आदि जिणंदा,
 नाभिराया मरुदेवी को नंदा ।।1

पहेली आरति पूजा कीजे, 
नरभव पामीने लाहो लीजे 
जय जय आरति आदि जिणंदा,
 नाभिराया मरुदेवी को नंदा ।।2

दुसरी आरति दीन दयाला, 
धुळेवा मंडपमां जग अजवाळा ।
जय जय आरति आदि जिणंदा,
 नाभिराया मरुदेवी को नंदा ।।3

तीसरी आरति त्रिभुवन देवा,
 सुरनर इन्द्र करे तोरी सेवा ।
जय जय आरति आदि जिणंदा,
 नाभिराया मरुदेवी को नंदा ।।4

चोथी आरति चउगति चुरे,
 मनवांछित फल शिवसुख पुरे ।
जय जय आरति आदि जिणंदा,
 नाभिराया मरुदेवी को नंदा ।।5

पंचमी आरति पुन्य उपाया, 
मूळचन्दे ऋषभ गुण गाया ।
जय जय आरति आदि जिणंदा,
नाभिराया मरुदेवी को नंदा ।।6