6.जय श्री अजित प्रभु,स्वामी जय श्री

जय श्री अजित प्रभु,स्वामी जय श्री अजित प्रभु। 
कष्ट निवारक जिनवर,तारनहार प्रभु ॥ 

पिता तुम्हारे जितशत्रू और, माँ विजया रानी । 
  स्वामी  माँ विजया रानी । 

माघ शुक्ल दशमी को जन्मे, त्रिभुवन के स्वामी 
स्वामी जय श्री अजित प्रभु। 

उल्कापात देख कर प्रभु जी, धार वैराग्य लिया ।
 स्वामी धार वैराग्य लिया

गिरी सम्मेद शिखर पर, प्रभु ने पद निर्वाण लिया ॥ 
स्वामी जय श्री अजित स्वामी

यमुना नदी के तीर बटेश्वर, अतिशय अति भारी । 
स्वामी अतिशय अति भारी

दिव्य शक्ति से आई प्रतिमा, दर्शन सुखकारी ॥ 
स्वामी जय श्री अजित प्रभु

प्रतिमा खंडित करने को जब, शत्रु प्रहार किया । 
स्वामी शत्रु प्रहार किया । 

बही ढूध की धार प्रभु ने, अतिशय दिखलाया ॥ 
स्वामी जय श्री अजित प्रभु।

बड़ी ही मन भावन हैं प्रतिमा, अजित जिनेश्वर की ।
 स्वामी अजित जिनेश्वर की ।

मंवांचित फल पाया जाता, दर्शन करे जो भी ॥ 
स्वामी जय श्री अजित प्रभु।

जगमग दीप जलाओ सब मिल, प्रभु के चरनन में । 
स्वामी प्रभु के चरनन में । 

पाप कटेंगे जनम जनम के, मुक्ति मिले क्षण में ॥ 
स्वामी जय श्री अजित प्रभु।