13.ॐ जय वासुपूज्य स्वामी
ॐ जय वासुपूज्य स्वामी,
प्रभु जय वासुपूज्य स्वामी।
पंचकल्याणक अधिपति, तुम अन्तर्यामी।
ॐ जय वासुपूज्य स्वामी।।
चंपापुर नगरी भी, धन्य हुई तुमसे।
स्वामी धन्य हुई तुमसे।
जयरामा वसुपूज्य तुम्हारे,मात पिता हरषे।।1
ॐ जय वासुपूज्य स्वामी।।
बालब्रह्मचारी बन, महाव्रत को धारा।
स्वामी महाव्रत को धारा।
प्रथम बालयति जग ने,तुमको स्वीकारा।।2
ॐ जय वासुपूज्य स्वामी।।
गर्भ जन्म तप एवं, केवलज्ञान लिया।
स्वामी केवलज्ञान लिया।
चम्पापुर में तुमने,पद निर्वाण लिया।।3
ॐ जय वासुपूज्य स्वामी।।
वासवगण से पूजित, वासुपूज्य जिनवर।
स्वामी वासुपूज्य जिनवर।
बारहवें तीर्थंकर, है तुम नाम अमर।।4
ॐ जय वासुपूज्य स्वामी।।
जो कोई तुमको सुमिरे, सुख सम्पति पावे।
स्वामी वासुपूज्य जिनवर।
पूजन वंदन करके, वंदित हो जावे ।।5
ॐ जय वासुपूज्य स्वामी।।
घृत आरति ले हम सब, तुम आरति करते।
स्वामी आरति करते।
उसका फल यह मिले चंदना-मती शुद्ध कर दे।
ॐ जय वासुपूज्य स्वामी, प्रभु जय वासुपूज्य स्वामी।
पंचकल्याणक अधिपति, तुम अन्तर्यामी ।।
ॐ जय वासुपूज्य स्वामी।।