17.नाम है तेरा तरण हरा कब तेरा दर्शन होगा

भजन-नाम है तेरा तरण हरा 
नाम है तेरा तरण हरा कब तेरा दर्शन होगा
जिनकी प्रतिमा इतनी सुंदर वो कितना सुंदर होगा
वो कितना सुंदर होगा…
जिनकी प्रतिमा इतनी सुंदर वो कितना सुंदर होगा


तुमने तारे लखो प्राणी यहा सांतो की वाणी  है 
तेरी छवि पर वो मेरे भगवंत यहा दुनिया देवानी है
भाव से तेरी वो हू जगा चाह जीवन मे मंगल होगा
जिनकी प्रतिमा इतनी सुंदर वो कितना सुंदर होगा
जिनकी प्रतिमा इतनी सुंद वो कितना सुंदर होगा


सुरवार मूनिवारा जिनके चरण मे निषदिन शीश जुकते है
जो गाते है प्रभु की महिमा वो सब कुछ पा जाते है
अपने कष्ट मिटाने को तेरे चरनो का वंदन होगा
जिनकी प्रतिमा इतनी सुंदर वो कितना सुंदर होगा
जिनकी प्रतिमा इतनी सुंदर वो कितना सुंदर होगा


मॅन की मुरते लेकर स्वामी तेरे चरण में आए है,
हम है बालक, तेरे जिनावरा तेरे ही गुना गाते है
जिनकी प्रतिमा इतनी सुंदर वो कितना सुंदर होगा


भाव से पर उतरने को तेरे गीतो का स्वर-संगम होगा
जिनकी प्रतिमा इतनी सुंदर वो कितना सुंदर होगा
जिनकी प्रतिमा इतनी सुंदर वो कितना सुंदर होगा


नाम है तेरा तरण हरा कब तेरा दर्शन होगा
जिनकी प्रतिमा इतनी सुंदर वो कितना सुंदर होगा
जिनकी प्रतिमा इतनी सुंदर वो कितना सुंदर होगा