20.जब से गुरु दर्श मिला,मनवा मेरा खिला खिला

जब से गुरु दर्श मिला, 
मनवा मेरा खिला खिला
मेरी तुमसे डोर जुड़ गयी रे
मेरी तो पतंग उड़ गयी रे

फांसले मिटा दो आज सारे,
 होगये गुरूजी हम तुम्हारे
मनका का पंछी बोल रहा, 
संग संग डोल रहा
मेरी तुमसे डोर जुड़ गयी रे,
 मेरी तो पतंग उड़ गयी रे

आज यह हवाएँ क्यों महकती, 
आज यह घटाएं क्यों चहकती
अंग अंग में उमंग, 
बड़ रही है संग संग
मेरी तुमसे डोर जुड़ गयी रे,
मेरी तो पतंग उड़ गयी रे

तुम्ही ही समय सार मेरे, 
तुम्ही हो नियम सार मेरे
खिल रही है कलि कलि,
 महक रही गली गली
मेरी तुमसे डोर जुड़ गयी रे, 
मेरी तो पतंग उड़ गयी रे