23.जीवन है पानी की बूँद कब मिट...

जीवन है पानी की बूँद कब मिट जाए रे
होनी अनहोनी कब क्या घाट जाए रे


जितना भी कर जाओगे,उतना ही फल पाओगे
करनी जो कर जाओगे,वैसा ही फल पाओगे
नीम के तरु में नहीं आम दिखाए रे
जीवन है पानी की बूँद कब मिट जाए रे


चाँद दिनों का जीवन है,इसमें देखो सुख काम है
जनम सभी को मालूम है,लेकिन मृत्यु से ग़ाफ़िल है
जाने कब तन से पंक्षी उड़ जाए रे
जीवन है पानी की बूँद कब मिट जाए रे


किस को मने अपना है, lअपना भी तो सपना है
जिसके लिए माया जोड़ी क्या वो तेरा अपना है
तेरा हो बेटा तुझे आग लगाए रे
जीवन है पानी की बूँद कब मिट जाए रे


गुरु जिस को छू लेते हैं वो कुंदन बन जाता है
तब तक सुलगता दावानल,वो सावन बन जाता है
आतंक का लोहा अब पारस कर ले रे
जीवन है पानी की बूँद कब मिट जाए रे