11.ॐ जय महावीर प्रभु!

ॐ जय महावीर प्रभु, स्वामी जय महावीर प्रभु
कुण्डलपुर अवतारी,चांदनपुर अवतारी,
त्रिशलानंद विभु ॥  ॐ जय....

सिध्धारथ घर जन्मे,   वैभव था भारी ।
बाल ब्रह्मचारी व्रत,   पाल्यो तप धारी ॥
॥ॐ जय महावीर प्रभु...॥

आतम ज्ञान विरागी,      सम दृष्टि धारी ।
माया मोह विनाशक,ज्ञान ज्योति जारी ॥
॥ॐ जय महावीर प्रभु...॥

जग में पाठ अहिंसा,आप ही विस्तारयो ।
हिंसा पाप मिटा कर,सुधर्म परिचारियो ॥
॥ॐ जय महावीर प्रभु...॥

अमर चंद को सपना,तुमने परभू दीना ।
मंदिर तीन शेखर का,निर्मित है कीना ॥
॥ॐ जय महावीर प्रभु...॥

जयपुर नृप भी तेरे,अतिशय के सेवी ।
एक ग्राम तिन्ह दीनो,सेवा हित यह भी ॥
॥ॐ जय महावीर प्रभु...॥

जल में भिन्न कमल जो,घर में बाल यति ।
राज पाठ सब त्यागे,ममता मोह हती ॥
॥ॐ जय महावीर प्रभु...॥

भूमंडल चांदनपुर,मंदिर मध्य लसे ।
शांत जिनिश्वर मूरत,दर्शन पाप लसे ॥
॥ॐ जय महावीर प्रभु...॥

जो कोई तेरे दर पर,       इच्छा कर आवे ।
धन सुत्त सब कुछ पावे,संकट मिट जावे ॥
॥ॐ जय महावीर प्रभु...॥

निशदिन प्रभु मंदिर में,जगमग ज्योत जरे ।
हम सेवक चरणों में,       आनंद मूँद भरे ॥
॥ॐ जय महावीर प्रभु...॥

ॐ जय महावीर प्रभु,स्वामी जय महावीर प्रभु।
कुण्डलपुर अवतारी,         चांदनपुर अवतारी,
त्रिशलानंद विभु ॥    ॥ॐ जय महावीर प्रभु.॥