62.विसर्जन - जुगलकिशोर जी

सम्पूर्ण-विधि कर वीनऊँ इस परम पूजन ठाठ में |
अज्ञानवश शास्त्रोक्त-विधि तें चूक कीनी पाठ में ||

सो होहु पूर्ण समस्त विधिवत् तुम चरण की शरण तें |
वंदूं तुम्हें कर जोड़ि, कर उद्धार जामन-मरण तें ||1

आह्वाननं स्थापनं सन्निधिकरण विधान जी |
पूजन-विसर्जन यथाविधि जानूँ नहीं गुणखान जी ||

जो दोष लागौ सो नसे सब तुम चरण की शरण तें |
वंदूं तुम्हें कर जोड़ि, कर उद्धार जामन-मरण तें ||2

तुम रहित आवागमन आह्वानन कियो निजभाव में |
विधि यथाक्रम निजशक्ति-सम पूजन कियो अतिचाव में|l


करहूँ विसर्जन भाव ही में तुम चरण की शरण तें |
वंदूं तुम्हें कर जोड़ि कर उद्धार जामन-मरण तें ||3

(दोहा)
तीन भुवन तिहूँ काल में, तुम-सा देव न और |
सुखकारण संकटहरण, नमौं जुगल-कर जोर ||

।। इत्याशीर्वाद: पुष्पांजलिं क्षिपेत् ।।