25.बाहुबली स्वामी की(जयति जय जय गोम्मटेश्वर, जयति जय बाहुबली)

जयति जय जय गोम्मटेश्वर, जयति जय बाहुबली। 
जयति जय भरताधिपति, विजयी अनुपम भुजबली। 
श्री आदिनाथ युगादिब्रह्मा त्रिजगपति विख्यात हैं। 
गुणमणि विभूषित आदिनाथ के भारत और बाहुबली॥ 
जयति जय ०० 

वृषभेश जब तप वन चले तब न्याय नीति कर गए । 
साकेतनगरीपति भरत, पोदनपुरी बाहुबली ॥ 
जयति जय०० 

षटखंड जीता भरत मन की नहीं आशा बुझी । 
निज चक्ररत्न चला दिया फिर भी विजयी बाहुबली ॥ 
जयति जय०० 

सब आखिर राज्य विभव तजा, कैलाश पर जा बसे । 
इक वर्ष का ले योग तब, निश्चल हुए बाहुबली ॥ 
जयति जय०० 

तन से प्रभु निर्मम हुए वन जंतु क्रीडा कर रहे । 
सिद्धि रमा वरने चले प्रभु वीर बन बाहुबलि॥ 
जयति जय०० 

प्रभु बाहुबली की नग्न मुद्रा सीख यह सिखला रही । 
सब त्याग करके माधुरी तुम भी बनो बाहुबली ॥ 
जयति जय००